प्रत्यास्थता क्या है बलो का प्रभाव click right now 9 step

प्रत्यास्थता क्या है ||बलो का प्रभाव click right now 9 step

1.प्रत्यास्थता क्या है-

क्या आप जानते है प्रत्यास्थता क्या है आज हम लोग जानेगे प्रत्यास्थता के बारे मे “ज़ब किसी भी वस्तु  पर बल लगाया जाता है तो वह थोड़ा सा दब जाती है(बीरुपित हो जाती है ) और जैसे ही उस बल को हटा लेते है तो यह बीरुपन समाप्त हो जाता है पदार्थ के इस गुण को  प्रत्यास्थता कहते है” उदाहरण -(a)रबर की गेंद पर यदी बल लगाया जाये तो वह थोड़ा दब जाती है और जैसे ही बल हटाते है वो अपनी प्रारंभिक अवस्था मे आप जाती है इसे प्रत्यास्थता कहते है (b)स्टील के अंदर सबसे अधिक प्रत्यास्थता का गुण होता है

प्रत्यास्थता क्या है

2. विरूपण बल –

– “ज़ब किसी पिंड पर बल लगाते है तो पिंड मे कुछ कमी  हो जाती है पिंड के अंदर आई यह कमी जिस बल के कारण होती है उसी बल को विरूपण बल कहते है” |विरूपण बल किसी पिंड के आकार को बदल देता है और उसके अंदर कमी आप जाती है

3.सुघट्यता – 

सुघट्यता की परिभाषा भी प्रत्यास्थता की परिभाषा की तरह ही है बस थोड़ा सा अंतर होता है आइये हम जानते है सुघट्यता की परिभाषा “ज़ब किसी भी वस्तु  पर बल लगाया जाता है तो वह थोड़ा सा दब जाती है(बीरुपित हो जाती है ) और जैसे ही उस बल को हटा लेते है तो यह बीरुपन total समाप्त नहीं हो पाता है पदार्थ के इस गुण को सुघट्यता कहते है” उदाहरण – प्लास्टिक की गेंद पर यदी बल लगाया जाये तो वह थोड़ा दब जाती है और जैसे ही बल हटाते है वो अपनी प्रारंभिक अवस्था मे नहीं  आप पाती है इसे सुघट्यता कहते है

4.प्रत्यास्थता सीमा-

– प्रत्यास्थता और सुघट्यता के बीच के बिंदु को प्रत्यास्थता सीमा कहते है “यदि किसी body  पर  बल  लगाया  जाये और उस    force  को हटा ले तो पिंड अपनी पूर्व  अवस्था मे आ जाती है लेकिन यदी  force को कुछ  और बढ़ाया जाये तो उसका प्रत्यास्थता का गुण समाप्त हो जाता है पिंड की वह अवस्था ज़ब प्रत्यास्थता का गुण समाप्त हो जाता है पिंड की उसी अवस्था को प्रत्यास्थता सीमा कहते है “

elastiity क्या है

5.प्रतिबल-

प्रत्यास्थता क्या है ये हम जानते है इसके बाद अब हम जाने गे प्रतिबल के बारे मे “ज़ब किसी पिंड पर बल लगाते है जिसके कारण पिंड दब जाता है और एक बल अंदर से लगता है जो उसके बीरुपण को समाप्त कर देता है उस बल को आंतरिक प्रतिरोधी बल कहते है | किसी पिंड पर लगा आंतरिक प्रतिरोधी बल और उसके छेत्रफल के अनुपात को प्रतिबल कहते है |” प्रतिबल का मात्रक -SI मात्रक – N/m प्रतिबल = आंतरिक प्रतिरोधी बल / छेत्रफल दाब =बाहरी  बल / छेत्रफल दाब  का मात्रक -N/m^2 प्रतिबल मे लगा बल बाहरी बल के बराबर होता है बस  आंतरिक प्रतिरोधी बल अंदर से लगता है और बाहरि बल बाहर से लगता है

6. विकृति –

प्रत्यास्थता क्या है ये हम जानते है इसके बाद अब हम जाने गे विकृति  के बारे मे “ज़ब किसी पिंड पर बल लगाते है तो इसके बीमा(लम्बाई, चौडाई और ऊचाई ) मे परिवर्तन होता है  तो किसी पिंड पर बल लगाने के बाद उसके बीमाओ मे हुआ परिवर्तन और प्रारंभिक बीमा के अनुपात को विकृति कहते है ” विकृति = बीमा मे परिवर्तन/प्रारंभिक बीमा विकृति मे  मात्रक नहीं होता है यह मात्रकहीन  होती  है

7. प्रत्यास्थता गुणांक-

प्रत्यास्थता क्या है ये हम जानते है इसके बाद अब हम जानेगे प्रत्यास्थता गुणांक के बारे मे “प्रत्यास्थता गुणांक प्रतिबल और विकृति के बीच सम्बन्ध को दर्शाता है प्रतिबल विकृति के समानुपाती  होता है इसका मतलब यह है की यदी  प्रतिबल के मान को बढ़ाये तो विकृति का मान बढ़ता है और  यदी  प्रतिबल के मान को घटाए  तो विकृति का मान घटना  है ” प्रतिबल अनुक्रमानुपाती विकृति प्रत्यास्थता गुणांक मुख्यतह 3 प्रकार का होता है (a)यंग प्रत्यास्थता गुणांक (b)अपरूपण प्रत्यास्थता गुणांक (c)आयतन प्रत्यास्थता गुणांक

प्रत्यास्थता ke bare me bataye

(a).यंग प्रत्यास्थता गुणांक-

प्रत्यास्थता क्या है ये हम जानते है इसके बाद अब हम जाने गे यंग प्रत्यास्थता गुणांक  के बारे मे यदि किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है तो  प्रत्यास्थता सीमा के अंदर उस वस्तु मे उत्पन्न अनुदैर्ध्य प्रतिबल और अनुदैर्ध्य विकृति के अनुपात को यंग प्रत्यास्थता गुणांक कहते है इसे Y से प्रदर्शित करते है माना किसी तार की लम्बाई L है यदी इसपर बल f लगाया जाये जिसके कारण l की कमी या वृद्धि होती है और बल, A छेत्रफल मे लगा है तब यंग प्रत्यास्थता गुणांक के सूत्र से यंग प्रत्यास्थता गुणांक= अनुदैर्ध्य प्रतिबल/अनुदैर्ध्य विकृति Y=P/e Y=fL/Al

(b)अपरूपण प्रत्यास्थता गुणांक-

– प्रत्यास्थता क्या है ये हम जानते है इसके बाद अब हम जाने गे अपरूपण प्रत्यास्थता गुणांक  के बारे मे यदि किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है तो  प्रत्यास्थता सीमा के अंदर उस वस्तु मे उत्पन्न अपरूपण प्रतिबल और अपरूपण विकृति के अनुपात को अपरूपण प्रत्यास्थता गुणांक कहते है इसे ईटा  से प्रदर्शित करते है

(c)आयतन प्रत्यास्थता गुणांक-

प्रत्यास्थता क्या है ये हम जानते है इसके बाद अब हम जाने गे आयतन प्रत्यास्थता गुणांक  के बारे मे यदि किसी वस्तु पर बल लगाया जाता है तो  प्रत्यास्थता सीमा के अंदर उस वस्तु मे उत्पन्न अभिलम्ब प्रतिबल और आयतन विकृति के अनुपात को आयतन प्रत्यास्थता गुणांक कहते है इसे B  से प्रदर्शित करते है अभिलम्ब  प्रतिबल-f/A

8.प्रत्यास्थता का महत्व एवं उपयोग-

प्रत्यास्थता एक महत्वपूर्ण गुण है जो व्यक्ति को अपने आत्मविश्वास में सुधार करने, जीवन में सफलता प्राप्त करने, और आसानी से सामाजिक परिस्थितियों का सामना करने में मदद कर सकता है। यह व्यक्ति को स्वीकार्यता, साहस, और स्वाधीनता की भावना देता है जो उसे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण होती है। प्रत्यास्थता के महत्वपूर्ण तत्वों में शामिल हैं:

आत्मविश्वास और सकारात्मकता:

प्रत्यास्थता व्यक्ति को आत्मविश्वास में सुधार करने में मदद करती है, जिससे उसकी आत्मबल की मजबूती होती है और वह अपने क्षेत्र में सकारात्मक परिणाम प्राप्त कर सकता है।

स्वतंत्रता और स्वाधीनता:

प्रत्यास्थता व्यक्ति को स्वतंत्रता और स्वाधीनता की भावना प्रदान करती है, जिससे वह अपने निर्णयों पर नियंत्रण रख सकता है और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए स्वयं को मोटीवेट कर सकता है।

समस्याओं का सामना:

समस्याओं का सामना: जीवन में आने वाली चुनौतियों और समस्याओं के सामना करने के लिए प्रत्यास्थता महत्वपूर्ण है। यह व्यक्ति को सकारात्मक दृष्टिकोण देने में मदद करती है, जिससे वह समस्याओं को सही तरीके से हल कर सकता है।

सम्बंध नेतृत्व में सुधार:

प्रत्यास्थता से व्यक्ति को सम्बंध नेतृत्व में सुधार होता है, जिससे वह दूसरों के साथ अच्छे संबंध बना सकता है और सामाजिक संबंधों में सफलता प्राप्त कर सकता है।

अध्ययन और पेशेवर सफलता:

प्रत्यास्थता विद्यार्थी और पेशेवर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह विद्यार्थी को अध्ययन में लगन, और पेशेवर क्षेत्र में प्रदर्शन में सहारा करती है।

9.हूक का नियम –

hooks law

प्रत्यास्थता क्या है ये हम जानते है इसके बाद अब हम पढ़े गे हूक का नियम के बारे मे हूक का नियम प्रतिबल और विकृति के बीच सम्बन्ध को दर्शाता है इसके अनुसार प्रतिबल विकृति के समानुपाती  होता है इसका मतलब यह है की यदी  प्रतिबल के मान को बढ़ाये तो विकृति का मान बढ़ता है और  यदी  प्रतिबल के मान को घटाए  तो विकृति का मान घटना  है प्रतिबल अनुक्रमानुपाती विकृति प्रतिबल = E. विकृति E= प्रतिबल /विकृति इसी को हुक का नियम कहते है  इसका मात्रक N/m^2 होता है 

Leave a Comment